Faridoon Shahryar's Blog


Sunday, October 13, 2019

बस यही मकसद है

बस यही मक़सद है
फरीदूं शहरयार की नज़्म 

आंखों ने खज़ाना 
जमा किया है
दरिया की मौजों का
पहाडों की करवटों का
पत्तियों की बौछारों का
समंदर की खामोशी का
सूरज की असूदगी का
रास्तों की परछाइयों का
झरनों की हरकतों का
आसमान के नायाब रंगों का
बर्फ की फूआरों का
झीलों की नग़मगी    का
फूलों की मुस्कुराहट का

ग़मों का पैमाना 
छलका है जब भी
किसी हसीन मंज़र ने
हल्के से हाथ थामा है मेरा 
मुझे और अमीर 
बहुत अमीर होना है
बस यही मक़सद है

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