Faridoon Shahryar's Blog


Wednesday, February 12, 2020

शक ना करो

शक ना करो 
फ़रीदून शहरयार की नज़्म 

सर्द हवा ने कहा 
इस रात को ढल जाने दो
बस दो तीन पहर 
गुज़र जाने दो 
शक ना करो 

थोड़ी ही तो तकलीफ़ है
ख़ुशनुमा सुबह होगी 
जन्नत सा समा होगा 
पूरे होंगे सारे अरमां 
शक ना करो 

बर्फ़ की तहें जमी हैं
सांसों की लौ मद्द्धम हो चली है
आंखों के आइने में
ख़्वाबों को दफ़न होते देखा 
फ़िर वही आवाज़ गूंजती है
सूरज भेस बदल के आया है
तपिश को महसूस करो 
शक ना करो

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