Faridoon Shahryar
Faridoon Shahryar's Blog
Saturday, November 2, 2019
आस की कश्ती
आस की कश्ती
फ़रीदून शहरयार की नज़्म
बादलों के पार
ख़्वाब झील में
आस की कश्ती
ख़ामोश उम्मीदों को
जज़्ब किए
बहे जा रही है
पहाड़ों का पैग़ाम
आसमान पर
गहरे हुरूफ़ में
नाज़िल हुआ है
आंखों से नाउमीदी को पोछो
उठो, हाथ बढ़ाओ
मुस्कुराओ
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